Kajari Teej – कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं भूल से भी ना करें ये काम
यदि धरती पर कहीं धर्म, प्रेम और आस्था का संकलन है तो वह हमारा भारतवर्ष है। यहां पतिव्रता स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु व सुख समृद्धि के लिए आये दिन व्रत व तप करती रहती है। चाहे इसे पश्चिमी सभ्यता में रंगे नौजवान मात्र एक ढकोसला समझे पर असल में सच्चे मन व आस्था से किया गया जप व तप निश्चय ही मनवांछित परिणाम देता है। ऐसा ही एक त्यौहार है कजरी तीज जिसे महिलाएं अपने पति की सुख समृद्धि व लम्बी आयु की कामना के साथ रखती हैं। कजरी तीज/Kajaree Teej को कई नामों जैसे सातुड़ी तीज और भादो तीज से भी जाना जाता है। साल 2022 में कजरी तीज 14 अगस्त को पड़ रही है। आइयें जानते हैं कजरी तीज से जुडी हर एक जानकारी के बारे में –
कजरी तीज 2022 की तिथि और शुभ मुहूर्त
भारतीय हिंदू पंचांग/Hindu Panchang के अनुसार, कजरी तीज भाद्रपद अर्थात भादो के महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल 2022 में इस तिथि की शुरुआत 13 अगस्त 2022 की आधी रात 12:53 बजे से होगी। और इसकी समाप्ति 14 अगस्त 2022 को रात के 10:35 मिनट पर होगी। कजरी तीज का व्रत रविवार, 14 अगस्त 2022 को रखा जाएगा।
कजरी तीज क्यों बनायीं जाती है ?
कजरी तीज का त्यौहार विवाहित स्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। ऐसा माना गया है, यह त्यौहार, विवाहित दम्पति के संबंधों को अत्यंत सुदृण बनता है व उनके जीवन में बहुत अच्छे फल देता है। सुहागनें यह व्रत अपने पति की दीर्घ आयु व आरोग्यता के लिए रखती है व कुंवारी कन्यायें यह व्रत/Vrat एक अच्छा पति पाने के लिए रखती हैं।
कजरी तीज की पौराणिक कथा
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक जंगल था। यह वन राजा दादूरै के अधीन था और इसमें राजा अपनी रानी के साथ विहार किया करते थे। लोग राजा रानी के प्रेम पर कजरी गीत गाया करते थे, धीरे धीरे ये गीत दूर-दूर तक प्रसिद्धि पाने लगे। कुछ समय पश्चात राजा का स्वर्गवास हो गया और रानी उनके साथ सती हो गयी। यह वन उन दोनों के अमर प्रेम का गवाह बना और लोग इसे पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक मानने लगे। तभी से कजरी तीज को पति व पत्नी में प्रेम बढ़ाने वाला त्यौहार/Festivals माना जाने लगा।
कजली तीज की पूजा विधि
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कजरी तीज के दिन जहां सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख की कामना से व्रत रखती हैं। यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
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कजरी तीज के दिन घरों में झूले डाले जाते हैं। सभी स्त्रियां इन झूलों में झूलती हुई अमर सुहाग के गीत गाती है।
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इस दिन गेहूं, चावल व चना के सत्तू से अनेकों पकवान बनाये जाते हैं।
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यह व्रत चन्द्रमा के उदय होने के बाद खोला जाता है, और बने हुए स्वादिष्ट व्यंजन खाये जाते हैं।
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आटे की सात रोटियां बनाकर, चने और गुड़ के साथ गाय को दी जाती है और इसके बाद ही व्रत खोला जाता है।
कजरी तीज व्रत के नियम
इस दिन पर शिव जी व माता पार्वती और माता नीमड़ी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रख शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद, पूजा कर यह व्रत खोलती हैं। भगवान भोलेनाथ की कृपा से कजरी तीज से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं/Solution for marriage issues by birth chart
कजरी तीज पर महिलाएं भूल कर भी न करें ये काम
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सफेद रंग के कपड़े न पहनें।
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महिलाएं पूर्ण श्रंगार करें।
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महिलाएं निर्जला व्रत करें और किसी भी प्रकार का अन्न व जल ना ग्रहण करें।
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पति से ना झगड़ें न उन्हें कोई अपशब्द कहें।
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अपने पति से दूरी बना कर ना रहें।
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मेहँदी लगाना व चूड़ियां पहनना बहुत शुभ माना गया है।
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कजरी तीज पर खाली हाथ ना घूमें।
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किसी भी प्रकार की निंदा, चुगली या बुराई से बचें।
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बड़ों का आदर व सम्मान कर उनका आशीर्वाद लें।
Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/kajari-teej-festival