जानिए कैसे आपकी कुंडली आपके स्वास्थ्य का अनुमान लगा सकती है
होगा वही जो लिखा है किस्मत में – हम सबने ये बात कई बार सुनी है। और बहुत लोग किस्मत और कर्म चक्र को मानते भी हैं। और क्यों नहीं। इस सृष्टि में ऐसा कुछ नहीं है जो कर्मफल एवं ग्रहों तथा नक्षत्रों की चाल से बाहर है। हम इंसानों का तो सारा जीवन ही ग्रहों एवं नक्षत्रों से प्रभावित रहता है। और इन प्रभावों को आंकने का सबसे अच्छा तरीका होता है – जन्म कुंडली का निरिक्षण। जी हाँ, जन्म कुंडली को देख कर, एक वैदिक ज्योतिष ज्ञाता आपको आपकी ज़िन्दगी से जुड़े हर पक्ष के बारे में बता सकता है। आपकी सेहत एवं स्वस्थ्य कैसा है, कैसा होगा, कोई रोग होने वाला है, या आप रोग से उभर चुके हो, इन सब प्रश्नों का उत्तर छिपा होता है कुंडली में।
तो आज हम आपको बताएंगे कुंडली में स्वस्थ्य सम्बन्धी प्रश्नों को कैसे जाने। कौन सा ग्रह आपको रोग मुक्ति दिला सकता है, अथवा कौन से भाव से पा सकते हैं आप अपने स्वस्थ्य सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर। जानिए हमसे।
स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए करें ज्योतिषी से परामर्श –
कुंडली के लग्नेश भाव की दशा बता सकती है, स्वस्थ्य संबंधी प्रश्नों के उत्तर। जी हाँ, एक अच्छा ज्योतिषी, हमेशा कुंडली की उसी भाव पे ध्यान देता है जहाँ लग्नेश हों। वैदिक ज्योतिष के ज्ञाता – डॉ. विनय बजरंगी के अनुसार, अगर आपका लग्न मेष है और मंगल विकृत स्थिति में है तो ये स्थिति जातक को सरदर्द अथवा रक्तचाप सम्ब्नधि समस्याओं से पीड़ित रखता है। इसके विपरीत, यदि आपका लग्न वृषभ है और इसका स्वामी शुक्र कुंडली के पांचवें भाव में हैं, तो संभवतः आप पेट के दर्द सम्बन्धी बीमारी से जूझेंगे।
तो, इस तरह हर राशि के लग्न का स्वस्थ्य पर अलग अलग प्रभाव देखने को मिलता है, और जब आप एक अच्छे स्वास्थ्य ज्योतिषी से परामर्श करते हैं, तो वो आपकी कुंडली का अच्छे से विचरण करके आपको अवगत करा सकता है, की आपको कौन से बिमारियों से जूझना होगा और क्या उपाय करके, इनका असर कम कर सकते हो।
क्यों लें स्वास्थ्य ज्योतिष का साथ – जानिए कारण और लाभ –
अच्छा स्वास्थय एक इंसान को सफल होने में मदद करता है। अच्छा एवं रोग मुक्त स्वास्थय इंसान के लिए सबसे बड़ी भगवान् की दें होती है। लेकिन हर इंसान स्वास्थय के मामले में एक बराबर भाग्यशाली नहीं होता। पर कभी आपने सोचा है की आखिर क्यों सब बराबर भाव से अच्छा स्वास्थ्य का आनंद नहीं ले सकते। यहाँ भूमिका निभाते हैं व्यक्ति के ग्रह और नक्षत्र। जी हाँ, क्योंकि हमारी कुंडली इन सभी ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति जानने का इकलौता माध्यम है तो स्वस्थ्य ज्योतिष के द्वारा,आप पा सकते हैं स्वस्थ्य से जुड़े अपने हर प्रश्न का उत्तर।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के विद्वान ज्योतिषी से परामर्श करके आप अपने रोगों को अगर जड़ से नहीं तो कम से कम तकलीफ को कम कर सकते हैं। आपकी कुंडली पढ़ कर एक ज्योतिषशास्त्री बता सकता है की आखिर कितने समय तक आपको अपनी वर्तमान स्थिति को झेलना होगा। और कब पा सकेंगे आप निवारण। अगर कोई उपाय किये जाने से आपका स्वस्थ्य सही हो सकता है, तो वो भी आपकी कुंडली के द्वारा ही बताया जा सकता है। तो यही कारण है, की यदि आप अपने स्वस्थ्य को लेकर परेशानियों से गुज़र रहे हैं तो आज ही मिलें एक स्वस्थ्य ज्योतिष/Health Astrology के अनुभवी ज्योतिषी से।
कुंडली में लग्न एवं लग्नेश की स्थिति बताती है कैसा रहेगा आपका स्वास्थ्य –
लग्न एवं लग्नेश का बहुत ही गहरा असर होता है एक जातक की ज़िन्दगी से। तो जब बात करते हैं सेहत या स्वास्थ्य की, तो वैदिक ज्योतिष कुंडली के इन्ही भागों को ध्यान करने के लिए कहता है। इसका अर्थ है की एक जानकार ज्योतिषी आपकी कुंडली के लग्न एवं लग्नेश की मज़बूत स्थिति से बता सकता है की आप रोग मुक्त जीवन जियेंगे। इसके विपरीत यदि लग्न एवं लग्नेश कमज़ोर अवस्था में हों तो ये आपके स्वास्थ्य के लिए बुरा संकेत देते हैं।
इसके साथ साथ, छठे, आठवें एवं बारहवें भाव को भी अच्छे से देखा जाता है लग्नेश एवं लग्न के साथ यदि आप अपनी अगर आप स्वास्थ्य समस्याओं का जवाब जानना चाहते हैं तो आप हमारे साथ हेल्थ प्रेडिक्शन के लिए ऑनलाइन रिपोर्ट भी ले जा सकते हैं।। चाहे लग्न या लग्नेश – दोनों में से एक भी यदि इन भावों से जुड़ें तो सम्भवता ये आपकी स्वस्थ्य को प्रभावित करेगा।
ग्रहों का प्रभाव और आपका स्वास्थय –
जैसा का ग्रह मंडल 9 ग्रहों से बनता है, स्वस्थ्य के बारे में कुछ भी जानने के लिए, एक अच्छा स्वास्थ्य ज्योतिष, इन्ही ग्रहों की स्थिति को देखता है आपकी कुंडली में। जानिये किस ग्रह के प्रभावानुसार आप किस रोग से ग्रस्त हो सकते है।
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यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित अवस्था अथवा कमज़ोर अवस्था में हों तो सम्भवता आप घाव, चोट जैसी परेशानिओं को झेल सकते हैं। इसके साथ साथ, सूर्य की ये स्थिति जातक के हृदय रोग एवं पेट अथवा पित्त रोग की तरफ भी इशारा करती है। ऐसे जातकों को दायीं आँख में कोई दिक्कत हो सकती है।
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चन्द्रमा की कमज़ोर स्थिति जातक के रक्त, दिमाग, स्त्रियों के मासिकधर्म की समस्याओं, छाती, एवं बाईं आँख सम्बन्धी समस्याओं की तरफ संकेत करता है।
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यदि कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी नहीं है तो ये जातक के जलने, उच्च रक्तचाप, घाव, आकस्मिक दुर्घटना, गर्भपात एवं शल्य क्रिया सम्बन्धी शारीरिक समस्याओं की और संकेत करता है।
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बुध का पीड़ित होना एक जातक का फेफड़े, कान, आवाज़, नाक और गले सम्बन्धी दिक्कतों के बारे में बताता है।
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पीड़ित गुरु कान, शारिरिक चर्बी बढ़ना एवं मधुमेह जैसे रोगो की तरफ इशारा करता है।
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शुक्र की कमज़ोर स्थिति गुप्त रोगों, पथरी, आंत, आँख एवं मूत्र में तकलीफ या जलन जैसे रोगों का संकेत देता है।
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शनि का दुष्प्रभाव जातक को नसों संबंधी रोगों, थकान एवं लकवा जैसी बिमारियों से पीड़ित रखता है।
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राहु की पीड़ित स्थिति जातक को हड्डियों के रोगों से दुखी रखता है।
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केतु की कमज़ोर स्थिति जातक को आंत, हकलाना अथवा बोलने में परेशानी जैसे दिकत्तों से परेशान रखता है।
तो इस तरह हम देखते हैं की कैसे ग्रहों एवं नक्षत्रों का अच्छा एवं बुरा प्रभाव हमारी कुंडली/Kundali में दर्शा सकता है हमे होने वाले शारिरिक परेशानीओं के बारे में। तो अच्छे कुंडली के ज्ञाता से मिल कर आप न सिर्फ ग्रहों एवं नक्षत्रों की दशा जान सकते हो, बल्कि उपाय जान कर इन दिक्कतों से उभर भी सकते हो।
Source: https://kundlihindi.com/blog/kundli-health-ka-anuman-kaise-laga-sakte-hai/