श्री राम मंदिर, अयोध्या से जुड़े वास्तु सम्बन्धी रोचक तथ्य
अयोध्या स्थित नव निर्मित राम मंदिर, देश भर करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है। राम जन्मभूमि पर राम लला के मंदिर का निर्माण अपने आप में एक अप्रतिम अवसर है। कई सौ वर्षों के इंतज़ार के बाद, अब सही अर्थों में राम राज्य की स्थापना होने जा रही है। इस लेख में हम आपको राम मंदिर से जुड़े रोचक तथ्यों/special about Ram Mandir के बारे में बताएंगें। ये तथ्य मुख्यतः राम मंदिर से जुड़े वास्तु पर आधारित है, इन्हें जानकार आपको ज्ञात होगा, कि हमारे देश के वास्तुकारों की सोच कितनी उन्नत, आधुनिक और विकासशील है।
सोमपुरा परिवार की वास्तु धरोहर
राम मंदिर, अयोध्या के निर्माण में हर छोटी से छोटी बारीकी पर ध्यान दिया गया है। रामलला के मंदिर का आधारभूत डिजाइन, अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार ने वर्ष 1988 में बनाया था। सोमपुरा परिवार, एक प्रसिद्ध वास्तुकारों का परिवार है जिनकी पिछली 15 पीढ़ियां मंदिरों के ही निर्माण करती आ रही हैं। देश भर में स्थित बिलड़ा मंदिरों को भी प्रारूप सोमपुरा परिवार ने ही तैयार किया है। दुनियाभर में इन्होनें 100 से अधिक मंदिर बनाए हैं। विश्वप्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर भी उनमें से एक है। कुछ बदलावों के बाद वर्ष 2020 में इन्होनें राम मंदिर का अंतिम डिज़ाइन तैयार कर दिया था। मंदिर के प्रमुख वास्तुकारों में चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे आशीष और निखिल सोमपुरा शामिल हैं। इस परिवार ने राम मंदिर को ‘नागरा’ वास्तुशैली प्रदान की है।
रामलला मंदिर की पवित्र नींव का रहस्य
अयोध्या भूमि पर निर्मित राम मंदिर की नींव का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि मंदिर की नींव में उल्लेखनीय 2587 क्षेत्रों की पवित्र मिट्टी का समावेश है। इन पवित्र स्थलों में झाँसी, यमुनोत्री, बिठूरी, चित्तौड़गढ़, हल्दीघाटी और स्वर्ण मंदिर जैसे विभिन्न धार्मिक व आध्यात्मिक स्थल सम्मिलित है। ज्ञात है, यह मंदिर सम्पूर्ण देश का आध्यात्मिक जुड़ाव दर्शाता है।
न स्टील, न लोहा, फिर भी सदी का सबसे मजबूत, अखंड वास्तुशिल्प
सबसे अद्भुत तथ्य, अयोध्या राम मंदिर, जिसकी लम्बाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है, उसके निर्माण में लोहे का कतई प्रयोग नहीं हुआ है। है न अद्भुत ! मंदिर तीन मंजिला होगा और इसकी हर मंजिल की ऊंचाई लगभग 20 फीट होगी। मंदिर परिसर में कुल 44 द्वार और 392 खंभे होंगे। इतने भव्य वास्तुकला में लोहे का प्रयोग निषिद्ध किया गया। जानकारी के लिए बता दें, ज्योतिष में लोहे व स्टील को शनि और राहु का द्योतक माना गया है। तामसिक प्रवृत्तियों को दूर रखने के उद्देशय से ही लोहे व स्टील को दूर रखा गया, हो सकता है।
श्री राम नाम अंकित ईंटें
राम मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त ईंटों पर पवित्र नाम ‘श्री राम’ अंकित है। यह हमें राम सेतु के निर्माण की कथा का स्मरण करवाता है, जब ‘श्री राम’ नाम वाले पत्थर पानी में अनायास ही ऊपर आ जाते थे और जिसके फलस्वरूप सेतु का निर्माण हुआ था। आधुनिक तकनीक से निर्मित इन ईंटों का उपयोग मंदिर को बेहतर मजबूती और स्थायित्व प्रदान करेगा।
वास्तु शास्त्र और चौलुक्य शैली का समागम
राम मंदिर का मूलभूत प्रारूप वास्तु शास्त्र और शिल्प शास्त्र के सिद्धांतों का अद्भुत समागम है। यह इमारत हमारे प्राचीन ज्ञान, वास्तुकला, आधुनिक तकनीक व सौंदर्य का उत्तम मिश्रण है।
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थाईलैंड की मिट्टी
अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक सौहार्द के प्रतीक के रूप में, आगामी 22 जनवरी 2024 को होने वाले रामलला के भव्य अभिषेक समारोह के लिए हमारे पड़ोसी देश थाईलैंड से मिट्टी भिजवाई गयी है। भगवान राम की भक्ति धारा सभी भौगोलिक सीमाओं से परे है।
भगवान राम का दरबार
राम मंदिर में कुल तीन मंज़िलें होंगी, और मंदिर परिसर विशाल 2.7 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। भूतल पर भगवान राम के जन्म और बाल्य लीलाओं को दर्शाया गया है। पहली मंजिल पर चढ़ते हुए, भगवान राम के मंदिर की भव्यता देखते ही बनेगी, पूरी नक्काशी भरतपुर, राजस्थान से मंगवाए गए गुलाबी बलुआ पत्थर से की गयी है।
पवित्र नदियों के जल से अभिषेक
अगस्त 5, 2020 को संपन्न रामलला अभिषेक समारोह में भारत भर की लगभग 150 नदियों के पवित्र जल का उपयोग किया गया। विभिन्न नदियों से प्राप्त जल, आध्यात्मिक मिलन का प्रतीक है।
भावी पीढ़ी के लिए एक टाइम कैप्सूल
मंदिर के निर्माण में एक अन्य बेजोड़ व असाधारण तथ्य एक टाइम कैप्सूल की स्थापना है। यह टाइम कैप्सूल भावी पीढ़ी को मंदिर की स्थापना व इतिहास की जानकारी के लिए बनाया गया। इस टाइम कैप्सूल को मंदिर में जमीन से 2000 फीट नीचे दफनाया गया है। तांबे की प्लेट पर बने इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर, भगवान राम और अयोध्या के बारे में प्रासंगिक जानकारी अंकित है जो भावी पीढ़ियों के लिए मंदिर की पहचान को संरक्षित रखने का एक दूरदर्शी प्रयास है।
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उत्कृष्ट स्तम्भ
मंदिर के डिज़ाइन में नागर शैली में तैयार किए गए 360 स्तंभ शामिल हैं, जो इसके सौंदर्य को अत्यधिक रूप से बढ़ाते हैं। राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पत्थर व नागर शैली का प्रयोग, मंदिर में अनुपम छटा बिखेरता है। इस उत्कृष्ट वास्तुशिल्प के कारण यह न केवल पूजा स्थल बनता है, बल्कि वास्तुकला की एक उत्कृष्ट कृति भी बन जाता है।
पर्यावरण अनुकूल निर्माण
मंदिर का निर्माण पर्यावरण के नियमों को ध्यान में रख कर किया गया है। इसमें मुख्यतः स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्रियों और ऊर्जा-बचत के साधनों का प्रयोग शामिल है।
भव्य नक्काशी
मंदिर में, रामायण के प्रसंगों का वर्णन करती, भव्य व सूक्ष्म नक्काशी की गयी है। मंदिर में भगवान राम के जीवन का सुन्दर चित्रण भी किया गया है। राम कथा का सजीव चित्रण करती वास्तुकला का यह एक बेजोड़ नमूना है।
निष्कर्षतः – अयोध्या राम मंदिर, एक इमारत से कहीं अधिक भारतीय आस्था, इतिहास, आध्यात्मिकता, प्रतिभा और स्थायित्व के संगम का जीवंत उदाहरण है। जैसे-जैसे आप मंदिर में आगे बढ़ते हैं, बहुआयामी कथाओं की जिज्ञासा में आप डूब जाते हैं। मंदिर की प्रत्येक ईंट और शिलालेख सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की कहानी को उजागर करता है।
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